झूठी रिपोर्ट होने पर क्या करे FALSE FIR
हम जिस समाज में रहते है उस समाज में कुछ गलत भावना रखने वाले लोग भी रहते है जो किसी के साथ आपसी रंजिश रख लेते है और किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठी रिपोर्ट FIR लिखवा देते है और परेशान करते है व् झूठे केस में फ़साने का प्रयतन करते है झूठे fir रिपोर्ट पर पुलिस उस व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लेती है इसमें व्यक्ति का समय, घन , व् जीवन की प्रतिष्ठा भी नष्ट होती है इस प्रकार की झूठी रिपोर्ट से बचने के लिए व्यति के पास कुछ कानूनी रास्ते भी है जिसका सही समय पर कानूनी रूप से बचाव किया जा सकता है
झूठी fir के मुख्य करण
- झूठी fir को सबसे ज्यादा घर के कलह में लिखवाया जाता है जिसमे दहेज़ व् तलाक शामिल होता है जिसमे व्यक्ति को दहेज़ के नाम पर फसाना व् तलाक न देने के नाम पर फसाया जाता है
- इसमें दूसरा मुख्य कारन बलात्कार के रूप में भी लगाया जा सकता है जिसमे लड़की अपनी इच्छा को मनवाने के लिए लड़के से जो चाहती है वह नहीं मिलता है तब वह इसी प्रकार की झूठी fir लिखवाई जाती है जिसमे लड़का कुछ न करते हुए भी उस केस में फस जाता है झूठी रिपोर्ट होने पर क्या करे FALSE FIR
रिपोर्ट निरस्त कराने के आधार
- fir झूठी दर्ज करवाई गई हो
- जिस अपराध के लिए fir लिखवाई गई हो वह अपराध कभी घटित ही न हुआ हो
- लिखवाई गई fir निराधार हो उसका कोई अस्तित्व ही न हो व् वह किसी अपराध को साबित न करती हो
धारा 482 का प्रयोग – section 482
CRPC की सेक्शन 482 का प्रयोग वकील के माध्यम के द्वारा प्राथनापत्र के साथ संगलन किये गिये सभी सबूतों के माध्यम से हाईकोर्ट की कानूनी कार्यवाही को रुकवाना है न्यायसंगत सबूतों के साथ व्यक्ति को राहत मिल सके
भारतीय दंड सहिंता की धारा 482 जिसमे किसी व्यक्ति के खिलाफ लिखवाई गई झूठी fir के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका देनी होती है जिसमे की व्यक्ति के खिलाफ होने वाली कानूनी कार्यवाही को रोक दिया जाता है इसमें याचिकाकर्ता की और से वकील के द्वारा सबूतों के साथ जिसमे ऑडियो , विडिओ , फोटोग्राफ इत्यादि एंव किसी दूसरी जगह होने का साबुत शामिल हो याचिका के साथ संग्लन किया जा सकता है
सबूतों के साथ लगे प्राथना पत्र पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान आपका केस ज्यादा मजबूत हो जाता है तब कोर्ट द्वारा आपके खिलाफ हो रही कानूनी कार्यवाही को तुरंत रोक दिया जाता है
आपके ऊपर जब कोई झूठी fir लगाईं जाती है और तब आप उसमे धारा 482 के तहत प्रार्थना पत्र दायर करते है और अपने आप को बेगुनाह साबित करने वाले सबूतों को पेश करते है तब हाईकोर्ट व्यक्ति के ऊपर लगे सभी चार्जेज को ख़ारिज कर देता है और पुलिस को तुरंत कार्यवाही रोकने का आदेश देता है और इस दौरान व्यक्ति के ऊपर न तो कोई कानूनी कार्यवाही होती है और न ही व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है
झूठी रिपोर्ट होने पर क्या करे FALSE FIR
धारा 211 का प्रयोग
जिस व्यक्ति ने आपके खिलाफ झूठी fir लिखवाई है और वह सभी आरोप बेबुनियाद होते है तब आप उस व्यक्ति के खिलाफ धारा 211 का प्रयोग कर सकते है उस व्यक्ति को झूठी fir लिखवाने के लिए केस दर्ज करवा सकते है और उसको झूटी fir लिखवाने पर 2 साल तक की कैद व् जुरमाना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है या फिर आप उसके ऊपर CRPC की धारा 250 के तहत मानहानि का केस करके मुआवजा भी लिया जा सकता है तथा झूठी fir लिखने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ IPC की धारा 182 के तहत fir दर्ज करवा कर कार्यवाही करवाई जा सकती है इस प्रकार से आपके खिलाफ होने वाली झूठी कार्यवाही से बचा जा सकता है झूठी रिपोर्ट होने पर क्या करे FALSE FIR
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